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पूर्व महानगर और वर्तमान महानगर कांग्रेस में फंसी कांग्रेस, प्रदेश नेतृत्व की अनदेखी किस पर पड़ेगी भारी

लव कुमार शर्मा, हरिद्वार/ लोकसभा, नगर निगम के चुनाव 6 महीने में होने हैं। सभी राजनीतिक दल अपने अपने स्तर पर जनता के बीच पहुंच रहे। देखने मे आ रहा है कि कांग्रेस की लड़ाई बीजेपी या अन्य दलों से नहीं होकर स्वयं से है। कांग्रेस वर्सेज कांग्रेस हो रहा है। इसी में बीजेपी खुश है और निश्चिंत है। शहर में कांग्रेस दो धड़ों वर्तमान महानगर और पूर्व महानगर में बंटी हुई है। वर्तमान महानगर अध्यक्ष और पूर्व महानगर अध्यक्ष दोनो सक्रिय हैं।

 

दोनों ही कार्यक्रम कर रहे लेकिन कार्यकर्ता असमंजस में हैं। पूर्व महानगर अध्यक्ष के साथ एक विधायक और बाकी सभी पूर्व पदाधिकारी हैं वहीं वर्तमान महानगर अध्यक्ष के साथ युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस और महानगर कांग्रेस के पदाधिकारी हैं। वैसे अभी कार्यकारिणी की घोषणा किसी की भी नहीं हुई है। दोनो कांग्रेस अलग अलग कार्यक्रम करेंगे। सूत्रों की माने तो कार्यकर्ताओं को इस प्रकार से बहुत नुकसान हो रहा है।

 

दोनो के समर्थक या पदाधिकारी एक दूसरे के कार्यक्रम में नहीं जाते। अभी कुछ दिन पहले पूर्व महानगर अध्यक्ष के समर्थन वालों ने एक कार्यक्रम कर सैकड़ों लोगों को कांग्रेस में शामिल करने का दावा किया था। उक्त कार्यक्रम में वर्तमान महानगर अध्यक्ष, ग्रामीण अध्यक्ष और युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष की टीम नदारद रही। जिसके बाद एक युवा नेता ने महानगर अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाते हुए पत्र भी मीडिया में जारी किया था। वहीं दो दिन बाद नशे के खिलाफ युवा कांग्रेस के नाम पर धरना दिया गया लेकिन उससे भी युवा कांग्रेस, महानगर कांग्रेस ने दूरी बनाई। युवा कांग्रेस द्वारा लोकसेवा आयोग के घेराव कार्यक्रम में वर्तमान महानगर कांग्रेस उपस्थित रही लेकिन पूर्व महानगर कांग्रेस ने दूरी बनाई।

 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का जन्मदिन, जयंती, पुण्यतिथि हो दोनो पूर्व और वर्तमान महानगर कांग्रेस अलग अलग मना रही है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि दोनो ही महानगर से संबंधित हैं तो दोनो को एक साथ कार्यक्रम करना चाहिए। अगर अलग अलग प्रकोष्ठ हों तब भी समझ आता है कि अलग अलग प्रकोष्ठ को अलग अलग कार्यक्रम करने का आला कमान द्वारा आदेश आया है। लेकिन यहां तो पूर्व और वर्तमान महानगर कांग्रेस ही अलग अलग कार्यक्रम कर रही। पूर्व महानगर कांग्रेस को कौन चला रहा है कार्यकर्ताओं में चर्चा का विषय बना हुआ है।
प्रदेश नेतृत्व भी इसमें कोई दखलंदाजी नहीं कर रहा। जबकि प्रदेश नेतृत्व का धर्मनगरी में आना जाना लगा रहता है। वक्त रहते पूर्व और वर्तमान महानगर कांग्रेस में सामंजस्य नहीं बैठा तो कोई बड़ा विस्फोट होना तय है जिसका खामियाजा कांग्रेस को हो सकता है। ऐसे में कांग्रेस का भविष्य क्या होगा यह आने वाला समय ही बताएगा।

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