
रामदेव के बाद रामविशाल दास धर्मनगरी में करने जा रहे बड़ा अभियान : देखें वीडियो
लव कुमार शर्मा, हरिद्वार/ तीर्थ सेवा न्यास द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में “विश्व सनातन महापीठ” की स्थापना की घोषणा की गई। यह महापीठ भारतवर्ष में सनातन धर्म की गौरवशाली पुनर्स्थापना, संत परंपरा के संरक्षण और वेद-धर्म-संस्कृति के प्रचार का एक दिव्य केंद्र होगा। यह केवल एक तीर्थ स्थान नहीं, अपितु एक युग निर्माण की योजना है — जहाँ सनातन धर्म का दर्शन, पराक्रम, परंपरा, विज्ञान और संस्कृति एक साथ जीवंत होंगे। प्रेस क्लब में आयोजित वार्ता में न्यास के संरक्षक व परमाध्यक्ष बाबा हठयोगी और अध्यक्ष संत राम विशाल दास महाराज ने संयुक्त रूप से बताया कि यह महापीठ न केवल धर्म और आस्था का केंद्र होगा, बल्कि समाज-राष्ट्र-धर्म के संतुलन का स्तंभ भी बनेगा। प्रथम चरण का अनुमानित बजट ₹300 करोड़, जबकि पूर्ण निर्माण व्यय ₹500 करोड़ प्रस्तावित है। भूमि पूजन 21 नवम्बर 2025, गौ संरक्षण एवं यज्ञशाला उद्घाटन 21 नवम्बर 2026 तथा महापीठ का दिव्य उद्घाटन समारोह 22 फरवरी 2029 को निर्धारित है। विश्व सनातन महापीठ में प्रस्तावित प्रमुख निर्माण एवं कार्यक्रम
– 108 यज्ञशालाएँ – राष्ट्र कल्याण हेतु निरंतर यज्ञ अनुष्ठानों की व्यवस्था।
– वैदिक गुरुकुल – शास्त्र, संस्कृत, वेद, आयुर्वेद, ज्योतिष आदि विषयों की प्राचीन परंपरा अनुसार शिक्षा।
– देशी गौ संरक्षण एवं शोध केन्द्र – गोवंश संरक्षण, पंचगव्य उत्पाद, व गोशोध।
– सभी चार शंकराचार्यों, आचार्यों, महामण्डलेश्वरों एवं महन्तों हेतु स्थायी संत निवास।
– 108 संत कुटियाँ, 1008 भक्त निवास भवन – तपस्वियों व भक्तों के स्थायी आवास।
– धर्मादेश मंच – जहाँ से पूरे देश हेतु सनातन जीवन के संबंध में दिशानिर्देश व आदेश जारी होंगे।
– प्रत्येक वर्ष ‘सनातन संसद’ का आयोजन – जिसमें 1008 संत-महापुरुषों हेतु वातानुकूलित संसद परिसर का निर्माण होगा।
– संस्कार एवं शौर्य प्रशिक्षण केन्द्र – प्रतिवर्ष 1,00,000 संस्कारित युवा योद्धाओं का प्रशिक्षण, जो आवश्यकता पड़ने पर धर्म और राष्ट्र रक्षा में संकल्पपूर्वक भाग लेंगे।
– शस्त्र विद्या, आत्मरक्षा, धर्म युद्ध नीति एवं सैन्य अनुशासन का अभ्यास केन्द्र।
– स्वरोजगार प्रशिक्षण केन्द्र – युवा वर्ग को शिल्प, आयुर्वेद, कृषि, गौसेवा, डिजिटल सेवा आदि में आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रशिक्षण।
– सभी मत-पंथ-सम्प्रदायों हेतु प्रतिनिधित्व स्थलों का निर्माण – आर्य समाज, वैष्णव, शैव, शाक्त, नाथ, रामानुज, कबीर, जैन, बौद्ध, आदि परंपराओं को समान आदर सहित समर्पित परिसर।
– ‘सनातन संग्रहालय’ और ‘धर्म साहित्य भंडार’ – जहाँ भारत की सांस्कृतिक धरोहर का संग्रह, संरक्षण और प्रचार होगा।
किसने क्या कहा :
बाबा हठयोगी जी महाराज (परमाध्यक्ष) ने कहा:
“यह महापीठ केवल एक भवन नहीं, बल्कि एक ‘चेतना पीठ’ है। आज भारत में सनातन आत्मा को जाग्रत करने की आवश्यकता है। यहां से उठने वाला यज्ञ का धुआँ, वेद की ध्वनि और संतों की वाणी पूरे विश्व को आलोकित करेगी।”
राम विशाल दास जी महाराज (अध्यक्ष) ने कहा:
“विश्व सनातन महापीठ वह पवित्र केंद्र होगा, जहाँ शास्त्र और शस्त्र एक साथ प्रतिष्ठित होंगे। यज्ञ से ऊर्जा, तप से शक्ति, सेवा से राष्ट्र निर्माण और सदाचार से समाज का निर्माण होगा। यह युग निर्माण का केंद्र होगा।”
महन्त ओमदास महाराज ने (महामन्त्री) कहा:
महापीठ का निर्माण योजनाबद्ध तरीके से होगा, जिससे हजारो युवाओ को रोजगार मिलेगा और सभी कार्य समय पर पूर्ण किए जाएँगे।
इस प्रेस वार्ता में समन्वयक श्री शिशिर चौधरी, उपाध्यक्ष श्री अशोक सोलंकी, डॉ ब्रजेन्द्र राजपूत एवं अन्य उपस्थित रहे।
“विश्व सनातन महापीठ” केवल वर्तमान की नहीं, आने वाले सैंकड़ो वर्षों की योजना है – जो भारत को धर्म, दर्शन, विज्ञान और नेतृत्व में फिर से विश्वगुरु बनायेगी।