ग्रीनमैन ऑफ इंडिया का समाजसेवियों ने किया अभिनंदन
लव कुमार शर्मा, हरिद्वार/ हरिद्वार नागरिक मंच ने ग्रीनमैन ऑफ इंडिया विजयपाल बघेल का नागरिक अभिनंदन मध्य हरिद्वार स्थित कार्यालय पर किया। इस अवसर पर विजयपाल बेघेल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की विश्व व्यापी समस्या के समाधान के लिए पूरी दुनिया चिंतित है। वर्ष 1995 में शुरू हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन की श्रंखला में वर्ष 2023 में दुबई में कॉप 28 के नाम से वैश्विक जलवायु सम्मेलन आयोजित किया गया।
जिसमें ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए जीवांश ईधन के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने वाले मुद्दे पर आम सहमति बनी। कॉप 28 में भाग लेकर लौटे विजयपाल बहल ने बताया कि कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए विकसित और अविकित देश के बीच जो मतभेद हुआ करते थे उनको पाटने में कॉप 28 की भूमिका सराहनीय रही।
हरितऋषि विजयपाल बघेल ने बताया कि पेरिस समझौता की जो मूल संधि थी साथ ही क्योटो प्रोटोकॉल की मूल संधि थी, इस कॉप 28 के माध्यम से पूरी दुनिया ने एक आम सहमति बनाकर उनमें जो विसंगतियां थी उनको दूर किया।
पर्यावरणीय संकट की व्यापकता और निस्तारण हेतु त्वरित कार्रवाई की अनिवार्यता को विश्व पटल पर पहली बार कॉप 28 के माध्यम से महसूस किया गया। पिछली बैठकों में तो विकसित देश अपने को उच्च मानकर विकासशील देशों और अविकसित देशो पर ही थोपते थे लेकिन कॉप 28 के माध्यम से जलवायु पूंजी में बढ़ोतरी करने पर आम सहमति बनाई, वह भी क्लाइमेट कैपिटल को बढ़ाने के लिए अविकसित देशों पर लोन की बाध्यता को हटाकर।
उन्होंने बताया कि पेरिस समझौता के तहत जो जलवायु न्याय के मुद्दे थे वे ग्लोबल स्टॉकटेक के माध्यम निस्तारित किए जाने थे वो कुछ देशों के लिए प्रतिबंधित थे। वह बाध्यता वाला शब्द ‘ कुछ के लिए’ भी हटा दिया गया यानी के अविकसित देशों को कुछ राहत इस कॉप 28 के माध्यम से मिली। कॉप 28 नामक जलवायु सम्मेलन की अध्यक्षता सुल्तान अल जावेद ने की तथा यूएन जलवायु परिवर्तन के महासचिव साइमन स्टिल द्वारा किया गया।
ग्रीनमैन बघेल ने बताया कि कोप 28 के उद्घाटन सत्र में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल रहे और उन्होंने जलवायु परिवर्तन से संबंधित भारत द्वारा उठाए जा रहे बहुत महत्वपूर्ण कदमों और प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि G20 की अध्यक्षता करने के माध्यम से भारत ने पूरी दुनिया की जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान का अचूक मंत्र दिया है। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को नियंत्रित करने वाला लक्ष्य हासिल करने की जो समय सीमा निर्धारित की गई थी उसको भारत ने 11 साल पहले ही हासिल कर लिया है। प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2028 में कॉप 33 को अपने यहां आयोजित करने का प्रस्ताव विश्व पटल पर रखा। श्री बघेल ने बताया कि कॉप 28 के माध्यम से वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन 45 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा गया है और गैर जीवांश ईंधन की हिस्सेदारी 50% तक बढ़ाने की बात भी रखी गई है।
ग्रीनमैन ऑफ इंडिया ने कहा कि धरती को बचाने के लिए यह वैश्विक जलवायु वार्ता नाकाफी है। जिस तरह से पेरिस समझौते का उल्लंघन विकसित देशों द्वारा किया गया अगर कोप 28 भी इसी तरह केवल बातों और योजनाओं बनाने तक ही सीमित रहा तो ऐसे तो जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान नहीं होगा। इसके लिए व्यावहारिक कार्यक्रम तय करने होंगे। उन्होंने बताया कि जिस तरह से भारत अपनी प्राकृतिक संपदा के संरक्षण लिए चिंतित है उसी तरह विकसित देशों को भी प्रकृति बचाने के लिए आगे आना होगा और जलवायु परिर्वतन की समस्या से छुटकारा पाने के लिए कार्बन गैसों के उत्सर्जन पर अंकुश लगाना होगा।
श्री बघेल ने आगे बताया कि धरती आग का गोला बनती जा रही है जिस कारण जलवायु परिवर्तन होकर पूरी पारिस्थितिकी तंत्र और प्राकृतिक संरचना को तहस नहस कर रही है इससे निजात पाने के लिए पूरी मानव जाति को सामूहिक प्रयास करने होंगे, नहीं तो जिस तरह से प्राकृतिक आपदाएं चारों तरफ अपना तांडव कर रही है उससे महाविनाश अवश्यसंभावी है।
संवाददाता सम्मेलन में हरिद्वार नागरिक मंच के संरक्षक जगदीश लाल पाहवा, ट्री ट्रस्ट ऑफ इंडिया के निदेशक रंजीत सिंह, इंटरनेशनल गुडविल सोसाइटी से डा मधुसूदन अग्रवाल, प्रमोद शर्मा, विनोद मित्तल, दिवाकर गुप्ता, विश्वास सक्सेना, सर्वेश गुप्ता, राधिका नागरथ, अरुण पाठक, एस एस राणा, डा यतींद्र नाग्यान, डा बी डी जोशी, डा जयपाल सिंह भाजपा नेता, डा रोहिताश, डा महेंद्र आहूजा, जगदीश विरमानी, अभिनंदन गुप्ता, राजकिशोर, अनिल भारतीय, मनोज गौतम, सीमा चौहान, तजेंद्र सिंह, राजकिशोर, कवियत्री राजकुमार, रेणु मैथानी, संगीता राणा सहित दर्जनों गणमान्य जन शामिल हुए। इस अवसर पर ग्रीनमैन विजयपाल बघेल का नागरिक अभिनंदन भी किया गया।