SMJN कॉलेज में पूर्व न्यायमूर्ति, कुलपति और संतों ने संगोष्ठी में किया प्रतिभाग
लव कुमार शर्मा, हरिद्वार/ एसएमजेएन महाविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ एवं सार्थक के संयुक्त तत्वाधान में महाविद्यालय में समान नागरिक संहिता तथा महिला सशक्तिकरण विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानंद महाराज, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्री महन्त रविन्द्र पुरी महाराज, मुख्य अतिथि पूर्व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह, कमलेश सिंह, विशिष्ट अतिथि कुलपति उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो. दिनेश चंद शास्त्री, प्राचार्य प्रो. सुनील कुमार बत्रा तथा आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के प्रभारी डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी द्वारा सरस्वती वंदना व द्वीप प्रज्जवलित करके किया गया। आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी श्री बालकानंद महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि पुत्र एक वंश को आगे लेकर चलता है तो पुत्री तीन वंश को आगे बढ़ाती है। धर्म को साथ लेकर चलने वाली धर्मपत्नी कहलाती है, हमारा अस्तित्व नारी से प्रारम्भ होता है।
श्री महन्त रविन्द्र पुरी महाराज, अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद व काॅलेज प्रबन्ध समिति ने समस्त अतिथियों को अपना साधुवा्द प्रेषित किया।
मुख्य अतिथि पूर्व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह ने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि घर में पुत्री ने जन्म लिया तो संस्कारों ने जन्म लिया है। महिला सशक्तिकरण वर्तमान में सर्वोच्च विकास प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण, साक्षरता, शिक्षा, प्रशिक्षा और जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से महिलाओं की स्थिति में सुधार करता है। यूसीसी को लागू करने हेतु पहल करने के लिए लोकपाल सिंह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को धन्यवाद प्रेषित करते हुए एसएमजेएन पी जी कालेज को इस महत्वपूर्ण बिन्दु उठाने के लिए बहुत बहुत बधाई दी।
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखण्ड राज्य में एसएमजेएन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह ने कहा कि हर ऐसे अपराध जिसमें न्यायालय संज्ञान ले सकता है, उसकी प्रथम प्राथमिकी रिपोर्ट लिखवानी अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के कानून में कुछ विरोधाभास है, विवाह के सन्दर्भ में धर्मों में अलग-अलग प्रावधान है, इसलिए यूसीसी आवश्यक है। उन्होंने आह्वान किया कि हताश और निराश न हो, अपने अधिकारों के प्रति सजग रहे।
संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता का लागू होना देश के लिए बहुत आवश्यक है। अगर देश की जनंसख्या का धनत्व ऐसे ही बढ़ता जायेगा तो भयंकर विष का कार्य करेगा। प्रो. शास्त्री ने कहा कि पुरूषों की तुलना में स्त्री में शक्ति और धैर्य अधिक होता है। स्त्री को शक्ति पुंज भी कहा जाता है, प्रो. शास्त्री ने प्राचीन वेद, पुराणों के उदाहरण भी इस सम्बन्ध में प्रस्तुत किये।
काॅलेज के प्राचार्य प्रो. सुनील कुमार बत्रा ने सभी अतिथियों को धन्यवाद प्रेषित करते हुए कहा कि पुरूषों के ठोस निर्णय लेने में महिलाओं की विशेष भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के घरेलू कार्यों का मोद्रिकरण किया जाना सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
इससे पूर्व काॅलेज की डाॅ. अमिता मल्होत्रा द्वारा नारी शक्ति का अवतार है गीत पर श्रोताओं को लुभाया। कालेज के छात्र-छात्राओं काजोल, अंशिका, दिया, राधिका, नेहा कश्यप, विष्णु, आयुष द्वारा ‘बेटी बचाओ-अपने बेटों को समझाओ’ विषयक नाट्य प्रस्तुत किया गया। समान नागरिक संहिता विषय पर अर्शिका, साक्षी आदि द्वारा सुन्दर प्रस्तुति प्रदान की गयी। इस अवसर पर डाॅ. कृष्णा झा एवं डाॅ. ऋचा झा द्वारा श्री महन्त रविन्द्र पुरी महाराज को उनके द्वारा कोरोना काल में किये गये सराहनीय कार्यों हेतु सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का सफल संचालन डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी व कैरियर काउसिंलिग सेल के अधिष्ठाता विनय थपलियाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से हरिद्वार नागरिक मंच के जगदीश लाल पाहवा, रमन कुमार सैनी अधिवक्ता, रामानंद इंस्टीटयूट के मयंक गुप्ता, मनोज उनियाल, सूरज,श्रुति आदि शिक्षक साथी महाविद्यालय के डाॅ. मन मोहन गुप्ता, प्रो. जदगीश चन्द्र आर्य, डाॅ. सुषमा नयाल, डाॅ. शिव कुमार चौहान, डाॅ. मनोज कुमार सोही, डाॅ. मोना शर्मा, डाॅ. सरोज शर्मा, डाॅ. आशा शर्मा, डाॅ. लता शर्मा, श्रीमती रूचिता सक्सेना, डाॅ. रजनी सिंघल, डाॅ. पल्लवी राणा, डाॅ. मिनाक्षी शर्मा, डाॅ. विनीता चौहान, कु. भव्या भगत, कु. साक्षी गुप्ता, डाॅ. प्रदीप त्यागी, मोहन चन्द्र पाण्डेय आदि उपस्थित थे। काॅलेज की छात्रा अपराजिता द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता पाठ द्वारा कार्यक्रम का समापन किया गया।