उत्तराखण्ड हरिद्वार

राष्ट्र की एकता अखण्डता एवं सनातन धर्म संस्कृति के उत्थान में संत महापुरूषों की अहम भूमिका-श्रीमहंत रविंद्रपुरी

राष्ट्र की एकता अखण्डता एवं सनातन धर्म संस्कृति के उत्थान में संत महापुरूषों की अहम भूमिका-श्रीमहंत रविंद्रपुरी

हरिद्वार / अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि राष्ट्र की एकता अखण्डता एवं सनातन धर्म संस्कृति के उत्थान में संत महापुरूषों की अहम भूमिका रही है।

 

मायापुर स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में आयोजित संत समागम को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य ने धर्म रक्षा हेतु अखाड़ों का गठन किया था। स्थापना के बाद से ही अखाड़ों के संत हिंदू समाज को धार्मिक व आध्यात्मिक रूप से संगठित करने के साथ धर्म रक्षा के अपने दायित्व को निर्वहन कर रहे हैं।

 

उन्होंने कहा कि संत समाज के नेतृत्व में हिंदू समाज के शताब्दियों के संघर्ष के बाद अयोध्या में श्रीराम मंदिर का स्वप्न साकार होने जा रहा है। 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर को अखाड़े में पूरी धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। 5100 दीपों का प्रकाश कर प्रभु श्रीराम की आराधना की जाएगी। जिसमें अखाड़े के संतों के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी सम्मिलित होंगे।

 

अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज व भारत माता मंदिर के महंत महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों के सानिध्य में प्राप्त ज्ञान से ही भक्त के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को सभी दीपोत्सव के रूप में मनाएं।

 

अपने घरों में दीपक जलाकर प्रभु श्रीराम की आराधना करें। स्वामी गंगा गिरी एवं महंत नटवर गिरी ने सभी संत महापुरूषों का स्वागत किया और कहा कि धर्म के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति की भगवान सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं। उन्होंने कहा कि संत महापुरूषों के दर्शन व उनके प्रवचन सुनने का अवसर सौभाग्य से मिलता है।

सभी को संत महापुरूषों के वचनों को आत्मसात कर मानव कल्याण में योगदान करना चाहिए। इस अवसर पर महंत केशवपुरी, महंत हरगोविंदपुरी, महंत राधे गिरी, महंत राकेश गिरी, महंत बलवीर गिरी, स्वामी रविपुरी, स्वामी रवि वन, प्रोफेसर सुनील बत्रा, अनिल शर्मा, स्वामी आशुतोष पुरी, महंत राजगिरी सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष उपस्थित रहे।