food safety uttarakhand राज्य औषधि विश्लेषणशाला देहरादून के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गयी है। राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) ने देहरादून की लैब को औषधि परीक्षण प्रमाण पत्र जारी कर दिया है। खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन आयुक्त डा. आर राजेश कुमार का कहना है कि यह प्रमाणपत्र मिलने के बाद इस लैब से टेस्ट की गयी दवाएं और कॉस्मेटिक को विश्व स्तर पर मान्यता मिल जाएगी। खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के आयुक्त डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और डॉ धन सिंह रावत के दिशा-निर्देशों पर शुरू की गयी इस प्रयोगशाला में अब तक तीन हजार से अधिक नमूनों की जांच की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि इसमें ऑनलाइन प्रमाणीकरण की भी सुविधा है। केंद्र सरकार के सहयोग से सात करोड़ रुपये की लागत से बनी है। food safety uttarakhand
food safety uttarakhand लैब में ड्रग, कास्मेटिक और मेडिकल डिवाइस की 2 हजार सैंपल की टेस्टिंग क्षमता; डॉ आर राजेश कुमार
food safety uttarakhand देहरादून में खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने अत्याधुनिक टेस्टिंग लैब शुरू की है। इस लैब में दो हजार से भी सैंपल की टेस्टिंग की क्षमता है। लैब में ड्रग, कास्मेटिक और मेडिकल डिवाइस की टेस्टिंग सुविधा है। खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी के अनुसार अब तक इस लैब से मिले औषधि परीक्षण के प्रमाणपत्र की वैधता राष्ट्रीय स्तर पर थी, लेकिन अब एनएबीएल द्वारा प्रमाणपत्र मिलने के बाद लैब द्वारा जारी किया गया प्रमाण पत्र वैश्विक स्तर पर मान्य होगा। उन्होंने बताया कि अब देहरादून के इस लैब को ग्लोबल स्तर पर अत्याधुनिक मशीनों से सुविधायुक्त लैब के तौर पर पहचान मिल सकेगी। food safety uttarakhand
food safety uttarakhand अपर आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि इस प्रयोगशाला में एचपीएलसी, यूवी/विजुअल फोटो, एफटीआईआर, जीसीएचएस जैसी अत्याधुनिक मशीनों से जांच होती है जिनकी सटीकता अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होती है। जग्गी ने बताया कि यह रुद्रपुर के बाद प्रदेश की दूसरी प्रयोगशाला है। रूद्रपुर प्रयोगशाला की क्षमता प्रति वर्ष 1000 नमूनों की जांच करने की है जिससे इस पर बोझ रहता था। उन्होंने कहा कि इस प्रयोगशाला के बनने के बाद प्रदेश में मिलावटखोरों और नकली उत्पाद बनाने और बेचने वालों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को गति मिली है। उन्होंने बताया कि इस प्रयोगशाला में पांच अलग-अलग प्रयोगशालाएं हैं जिनमें रसायन परीक्षण लैब, माइनर, मेजर, कास्मेटिक और माइक्रो बायोलॉजी लैब शामिल हैं। इन प्रयोगशालाओं में औषधि, टैबलेट, खांसी का सिरप और सौंदर्य उत्पादों की जांच की जाती है। food safety uttarakhand
औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि भारत सरकार के सहयोग से करीब सात करोड़ रुपये की लागत से बनी इस लैब में फार्मा और इंजेक्टेबल मेडिकल डिवाइस की जांच होती है। इसके अलावा कॉस्मेटिक्स की भी जांच होती है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की हाईटेक लैब में अब तक 3000 से अधिक जांचें हो चुकी हैं। यहां पांच प्रयोगशालाएं बनाई गई हैं। इनमें केमिकल टेस्टिंग लैब, मैनर, नापतौल, कॉस्मेटिक और माइक्रोबायोलॉजी लैब शामिल हैं। गौरतलब है कि एनएबीएल सर्टिफिकेट मिलने से पूर्व आडिट प्रक्रिया के तहत मूल्यांकन टीम द्वारा प्रयोगशाला की बुनियादी ढांचा उपकरण, कार्मिक योग्यता-बु़द्विमत्ता, गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली और दक्षता परीक्षण जैसे विभिन्न मानकों एवं कसौटियों पर लैब का मूल्यांकन किया गया था। यह बता दें कि रुद्रपुर की लैब को पहले ही एनएबीएल सर्टिफिकेट मिल चुका है। ऐसे में अब उत्तराखंड से दवा कंपनियों को निर्यात की जाने वाली दवाओं की टेस्टिंग के लिए अन्यंत्र नहीं जाना पड़ेगा।
लंबे समय से ड्रग इंस्पेक्टरों की कमी से जूझ रहे खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को 18 नए इंस्पेक्टर मिल गये हैं। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग औषधि निरीक्षक ग्रेड-2 के रिक्त 19 पदों का रिजल्ट जारी कर दिया है। 19 पदों पर सीधी भर्ती के माध्यम से 18 पदों पर युवाओं का चयन हुआ है। एक पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित था जिसमें अभ्यर्थी न मिलने के कारण इसे अग्रेनीत कर दिया गया है। आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग डॉ आर राजेश कुमार ने कहा विभाग में ड्रग इंस्पेक्टर की लंबे समय से कमी बनी हुई थी। नए इंस्पेक्टरों के आने से ड्रग विभाग और अधिक मजबूती के साथ काम करेगा। अपर आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ताजबर सिंह जग्गी ने कहा प्रदेश में खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग का कार्य लगातार बढ़ रहा है। प्रदेश में फार्मा सेक्टर के लगातार बढ़ने के कारण भी इनकी भूमिका अहम हो गई है। बीते कुछ समय में उत्तराखंड में नकली दवाओं के पकड़े जाने के बाद से इनका कार्य और महत्वपूर्ण हो गया है। 18 ड्रग इंस्पेक्टरों के आने से कार्यों में तेजी आयेगी।