संत महापुरूषों के प्रयासों से पूरा विश्व सनातन धर्म को अपना रहा है -स्वामी कपिल मुनि
हरिद्वार / भूपतवाला स्थित मां कुटी आश्रम के परमाध्यक्ष श्रीमहंत नारायण दास पटवारी महाराज का अवतरण दिवस सभी 13 अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित संत समागम की अध्यक्षता करते हुए जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन और समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने में श्रीमहंत नारायण दास पटवारी ने हमेशा भूमिका निभायी है। उनके त्यागमयी और तपस्वी जीवन से प्रेरणा लेते हुए सभी मानव कल्याण में योगदान करना चाहिए। महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों के प्रयासों से पूरा विश्व सनातन धर्म को अपना रहा है। गौ, गंगा और गायत्री को जीवन समर्पित करने वाले श्रीमहंत नारायण दास पटवारी महान संत हैं। संत समाज उनकी दीघार्यू और उज्जवल भविष्य की कामना करता है। उन्होंने कहा कि श्रीमहंत नारायण दास पटवारी सेवा प्रकल्पों के माध्यम से गरीब कन्याओं के विवाह और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की शिक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। महंत विष्णुदास महाराज एवं महंत रघुवीर दास महाराज ने कहा कि सनातन धर्म के उत्थान में श्रीमहंत नारायण दास पटवारी का योगदान हमेशा स्मरणीय रहेगा। युवा संतों को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र सेवा में अपनी भूमिका सुनिश्चित करनी चाहिए। बाबा हठयोगी एवं स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि धर्म शास्त्रों और अध्यात्म के विलक्षण विद्वान श्रीमहंत नारायण दास पटवारी ने भक्तों को गंगा स्वच्छता के प्रति प्रेरित करने में सदैव अहम भूमिका निभायी। गंगा के प्रति उनकी अगाध आस्था से सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए और गंगा को स्वच्छ, निर्मल, अविरल बनाए रखने में सहयोग करना चाहिए। कार्यक्रम में उपस्थित संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए श्रीमहंत नारायण दास पटवारी महाराज ने कहा कि संत समाज के आशीर्वाद से सनातन धर्म के प्रचार प्रसार और मानव कल्याण में योगदान करना ही उनके जीवन का लक्ष्य है। महंत सूरजदास, महंत बिहारी शरण, महंत अंकित शरण, महंत जयराम दास, महंत प्रेमदास, ट्रस्टी उषा रानी चैहान, सतीश सूद ने सभी संतों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर महंत प्रेमदास, महंत जयराम दास, महंत गोविंददास, महंत रघुवीर दास, महंत विष्णुदास, महंत अंकित शरण, महंत प्रह्लाद दास, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी अनंतानंद, स्वामी हरिहरानंद, महंत दिनेश दास, स्वामी राममुनि सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष मौजूद रहे।