उत्तराखण्ड

हरिद्वार में असली महानगर कांग्रेस कौन, प्रदेश नेतृत्व मौन

हरिद्वार में असली महानगर कांग्रेस कौन, प्रदेश नेतृत्व मौन

एकजुटता का संदेश देने वालों की राह अलग अलग

 

लव कुमार शर्मा, हरिद्वार/ कांग्रेस में दो गुटों के बीच खींचतान बनी हुई है। दोनो अपनी अपनी जगह कार्यक्रम आयोजित कर कार्यकर्ताओं को अपनी तरफ ले रहे। मजे की बात तो यह है कि एक वर्तमान महानगर कांग्रेस है और दूसरी पूर्व महानगर कांग्रेस है। शायद पूर्व अध्यक्ष वर्तमान अध्यक्ष को अध्यक्ष मान ही नहीं रहे। उनके साथ अन्य कार्यकर्ता भी यही सोच रख रहे। बात यहीं तक रहती तब भी चल जाती लेकिन एक विधायक भी इसमें शामिल हो गए और वह भी सिर्फ पूर्व महानगर अध्यक्ष के कार्यक्रम में पहुंच रहे। वर्तमान महानगर कांग्रेस अध्यक्ष कांग्रेस का कोई भी कार्यक्रम महानगर कार्यालय या अन्य स्थान पर करते हैं उसमे पूर्व महानगर अध्यक्ष की टीम नहीं जाती वो अपने कार्यालय या अन्य स्थान पर उसी दिन वही कार्यक्रम आयोजित करते हैं। कार्यकर्ताओं की माने तो चर्चा यह भी है कि पूर्व महानगर अध्यक्ष ने अपने कार्यकाल में इतने कार्यक्रम नहीं किए जितने इस एक वर्ष में पद नहीं रहते कर दिए। यह सब किसके इशारे पर किसके खिलाफ और किसे नीचा दिखाने के लिए किया जा रहा है यह भी चर्चा का विषय है। मीडिया में कार्यक्रम की विज्ञप्ति भी अलग अलग जाती है। इस प्रकार पहले कभी नहीं देखा गया। बीजेपी में जिसे अध्यक्ष बना दिया वह अध्यक्ष होता है और पूर्व भी उसे अध्यक्ष मानता है लेकिन कांग्रेस में अलग ही परंपरा चल रही। अपने भाषणों में नेताजी एकजुटता, सौहाद्र, अनुशासन का संदेश देंगे लेकिन स्वयं उस पर अमल नहीं करेंगे।


कार्यकर्ताओं का कहना है कि वर्तमान महानगर अध्यक्ष को अपने अधिकारों का प्रयोग कर इस प्रकार से अलग कार्यक्रम करने वालों पर कार्यवाही करनी चाहिए जिससे अनुशासन का संदेश जनता और पार्टी में जाए। कुछ का कहना है कि प्रदेश नेतृत्व को भी इस पर संज्ञान लेना चाहिए और कार्यवाही करनी चाहिए। प्रदेश नेतृत्व का मौन दोनो के बीच और अधिक कटुता ला रहा है जो कि कांग्रेस के लिए घाटा सिद्ध होने जा रहा है।