हरिद्वार / निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि गुरू ही शिष्य को भगवान को पाने का मार्ग बताते हैं। इसलिए शास्त्रों में गुरू का स्थान भगवान के बराबर बताया गया है। श्री दक्षिण काली मंदिर में आयोजित गुरू पूर्णिमा महोत्सव के दौरान उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि गुरू अपने उपदेशों से शिष्य के अज्ञान को दूर करता है और उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। इसलिए गुरू को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान माना गया है। उन्होंने कहा कि क्योंकि गुरू के बिना जीवन में प्रकाश नहीं आता है। इसलिए हर रोज गुरू की पूजा करना चाहिए। लेकिन गुरू पूर्णिमा पर गुरू पूजा का विशेष महत्व है। गुरू के उपदेशों को सुनें और उन्हें जीवन में उतारने का संकल्प लें। यही गुरू शिष्य परंपरा की सार्थकता है। स्वामी आदियोगी महाराज ने कहा कि गुरू परंपराओं का निर्वहन करते हुए राष्ट्र की उन्नति में अपना योगदान दें। गुरू ही शिक्षा का मार्ग दिखाकर शिष्य में उत्तम चरित्र का निर्माण करते हैं। स्वामी नागेंद्र ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि देश को उन्नति के मार्ग पर अग्रसर करने के लिए गुरू परंपरांओं का निर्वहन करना चाहिए। भारतीय संस्कृति में गुरू परंपरा सर्वोच्च स्थान रखती है।