बैसाखी पर्व पर निर्मल विरक्त कुटिया में कार्यक्रम आयोजित
लव कुमार शर्मा, हरिद्वार/ कनखल निर्मल विरक्त कुटिया स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारे में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी बैसाखी पर्व धूमधाम से मनाया गया। आसपास के देहात और शहरी क्षेत्र से सुबह से ही सैकड़ों श्रद्धालु गुरुद्वारे पहुंचे और गुरु ग्रंथ साहिब के आगे माथा टेका। इस अवसर पर बाबा पंडत ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह ने बैसाखी पर खालसा पंथ की स्थापना की थी। उन्होंने देश और धर्म के लिए अपने वंश का बलिदान दिया। सिक्ख समाज सेवा के लिए जाना जाता है। जो भी गुरुओं की वाणी का श्रवण करता है और उसे अपने जीवन में अमल करता है उसका जीवन सफल हो जाता है।
सूबा सिंह ढिल्लो ने कहा कि ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारे के लिए उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को स्थान के लिए आदेश दिया गया है। जल्द ही मूल स्थान पर गुरुद्वारा बनाने की अनुमति प्रदान की जाए। गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी सिक्ख समाज के लिए बहुत पवित्र है। सरकार धार्मिक भावनाओं को समझे और स्थान दे। इस दौरान मालक सिंह रागी जत्था पौंटा साहिब ने कीर्तन से सभी को निहाल किया। कथा वाचक ज्ञानी जसविंदर सिंह मुजफ्फरनगर वाले ने गुरुओं की कथा सुनाई।
कार्यक्रम में बाबा सुलतान सिंह लाडी, बाबा गुरमीत सिंह, सतविंदर सिंह, उज्जल सिंह, हरभजन सिंह, अनूप सिंह सिद्धू, करमजीत सिंह, सतपाल सिंह चौहान, विजय पाल शास्त्री, वेदपाल सिंह, अरविंद, सुखराम, हरपाल, मोहन सिंह, सुरजीत सिंह आदि सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।