अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा की कार्यकारिणी घोषित
किसे मिली तीन वर्ष के लिए जिम्मेदारी
लव कुमार शर्मा, हरिद्वार/ अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा नई कार्यकारिणी ने गंगा पूजन कर भविष्य की योजना पर विचार विमर्श किया। प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकारवार्ता के दौरान श्री गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि महासभा की स्थापना 1978 में हुई जिसके बाद से प्रत्येक तीन वर्ष में इसकी नई कार्यकारिणी घोषित होती है। इस बार रामकृष्ण तिवारी राष्ट्रीय अध्यक्ष, नवीन नागर चतुर्वेदी महामंत्री, यतींद्र सिखौला वरिष्ठ उपाध्यक्ष, कृष्णकांत कोड़ियाल उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए। उत्तराखंड पहुंचकर महासभा से जुड़े तीर्थ पुरोहितों से मुलाकात कर आगे की रणनीति पर चर्चा हुई।
श्री गंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम ने बताया कि महासभा तीर्थ पुरोहितों और तीर्थ स्थानों के लिए कार्य करती है। देवस्थानम बोर्ड का जब मामला हुआ था उसमे भी महासभा द्वारा अहम भूमिका निभाई है जिसके बाद सरकार को कदम वापस लेने पड़े। नवनियुक्त अध्यक्ष रामकृष्ण तिवारी ने बताया कि महासभा पूरे देश के तीर्थ पुरोहितों की समास्याओं के निराकरण, तीर्थों के विकास, तीर्थ स्थानों पर आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं को लेकर सदैव चिंतित रहती है और समय समय पर सरकार से इन विषयों पर वार्ता भी होती है। उन्होंने बताया कि तीर्थ स्थानों को एक दूसरे से जोड़ने पर भी कार्य हो रहा है।
कई तीर्थ स्थान बहुत पिछड़े हुए हैं सरकार द्वारा उनकी सुध नहीं ली जा रही। महामंत्री नवीन नागर चतुर्वेदी ने बताया कि दक्षिण प्रदेशों के तीर्थ स्थानों पर प्रशासनिक अधिकारियों का बोलबाला है। वहां तीर्थ पुरोहितों को ठीक से काम भी नहीं करने दिया जाता। आस्था का ध्यान रखना पुरोहित का काम है और सरकार का काम व्यवस्था बनाना है।
मूल पुरोहितो के अधिकारों को सुरक्षित रखा जाए। उन्हें विकास योजना में सम्मिलित किया जाए। तीर्थ पुरोहित स्थानीय होते हैं उन्हें क्षेत्र की पूरी जानकारी होती है। पवित्र नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए कार्य हो। जिसके लिए सभी सहयोग करें। इस अवसर पर बनवारी लाल शर्मा, विकास प्रधान आदि उपस्थित थे।