उत्तराखण्ड हरिद्वार

देश को सांस्कृति रूप से एकजुट करने में संत महापुरूषों की अहम भूमिका-स्वामी सुरेश मुनि

हरिद्वार, स्वामी सुरेश मुनि महाराज ने कहा कि सद्गुरू के सानिध्य में प्राप्त ज्ञान का अनुसरण करते हुए सद्मार्ग पर चलने वाले साधक का सदैव कल्याण होता है। भूपतवाला स्थित स्वतःमुनि उदासीन आश्रम में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी सुरेश मुनि महाराज ने कहा कि अनादि काल से चली आ रही गुरू शिष्य परंपरा सनातन धर्म की अनूठी परंपरा है। गुरू ही शिष्य को धर्म व अध्यात्म का ज्ञान प्रदान कर उसकी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर धर्म व अध्यात्म के मार्ग अग्रसर करने के साथ देश को सांस्कृति रूप से एकजुट करने में संत महापुरूषों ने हमेशा अहम भूमिका निभायी है। देवभूमि उत्तराखंड के संतों ने सनातन धर्म संस्कृति का जो स्वरूप विश्व पटल पर प्रस्तुत किया है। उससे प्रभावित होकर विदेशी भी सनातन धर्म को अपना रहे हैं। स्वामी सुरेश मुनि ने कहा कि हरिद्वार विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक नगरी और करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। हरिद्वार के गंगा तटों पर लगने वाले कुंभ मेले के दौरान संत समाज द्वारा प्रसारित आध्यात्मिक संदेशों से पूरे विश्व को मार्गदर्शन प्राप्त होता है। उन्होंने श्रद्धालुओं को गंगा स्वच्छता के प्रति जागरूक करते हुए कहा कि केवल गंगा में स्नान करना ही पर्याप्त नहीं है। बल्कि गंगा की स्वच्छता, निर्मलता, अविरता बनाए रखना भी सबका दायित्व है। गंगा स्नान के दौरान गंगा तटों पर किसी भी प्रकार की गंदगी ना फैलाएं। पाॅलीथीन, पुराने कपड़े आदि गंगा में ना डालें। गंगा स्वच्छता में सहयोगी बनें और दूसरों को भी प्रेरित करें। इस दौरान स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, स्वामी शिवानंद, स्वामी रामानंद, स्वामी विनयानंद आदि संत व समाजसेवी प्रेमकुमार सिंगला, धर्मपाल सिंगला, पुष्पेंद्र, चेतन पाठक आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।