-बिहार के माननीय राज्यपाल, श्री आरिफ मोहम्मद खान साहब और विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं सेवानिवृत मुख्य न्यायमूर्ति और भारत के नवनियुक्त लोकपाल, रितुराज अवस्थी जी का परमार्थ निकेतन शिविर में आगमन
-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में अरैल घाट पर आयोजित गंगा आरती में किया सहभाग
-अरैल घाट पर परमार्थ निकेतन द्वारा आयोजित गंगा आरती में आज बिहार के माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान साहब, माननीय विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष और सेवानिवृत्त मुख्य न्यायमूर्ति और भारत के नवनियुक्त लोकपाल, श्री रितुराज अवस्थी जी, माननीय कैबिनेट मंत्री श्री नंदगोपाल गुप्ता, नंदी जी और भारत सहित विश्व के विभिन्न देशों से आये श्रद्धालुओं की गरिमामयी उपस्थिति
-परमार्थ गंगा आरती में आज विधि, नीति, राजनीति व धर्मनीति का अद्भुत समन्वय
-परमार्थ निकेेतन शिविर में विभूतियों और विशेषज्ञों का अद्भुत समन्वय
-कनाडा से आये आचार्य रमेश और पूरे परिवार ने किया वेदमंत्र पाठ
प्रयागराज। बिहार के माननीय राज्यपाल, श्री आरिफ मोहम्मद खान साहब और विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं सेवानिवृत मुख्य न्यायमूर्ति और भारत के नवनियुक्त लोकपाल, रितुराज अवस्थी जी का परमार्थ निकेतन शिविर में आगमन हुआ। उन्होंने पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में अरैल घाट पर आयोजित गंगा आरती में सहभाग किया।
परमार्थ निकेतन द्वारा अरैल घाट पर आयोजित गंगा आरती में विधि, नीति, राजनीति और धर्मनीति का अद्भुत समन्वय प्राप्त हुआ। भारत की वैचारिक चिंतन-मंथन करने वाली विभूतियों का पावन सान्निध्य श्रद्धालुओं को प्राप्त हुआ।
बिहार के माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान साहब ने कहा कि इस जीवन में जीवित रहते हुये मोक्ष प्राप्त करना है तो पूर्वाग्रह से अपने आप को मुक्ति दिलाना होगा, यही मोक्ष है। अनेकता को स्वीकार करों, आदर करों क्योंकि यही विविधता में एकता की हमारी संस्कृति है। विविधताओं का संगम पैदा करके एक कर देना यही भारतीय संस्कृति है और यह पर्व उसका उत्सव है। हम सब के अन्दर आत्मा के रूप में दिव्यता है उसका आदर करना ही भारतीय संस्कृति है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि गंगा जी की आरती हमें विचारधारा और जीवनधारा प्रदान करती है। भारतीय न्याय प्रणाली और संविधान में धर्म और नीति का महत्वपूर्ण स्थान है। भारतीय न्याय व्यवस्था का उद्देश्य न केवल न्याय दिलाना है, बल्कि समाज के समक्ष एक नैतिक उदाहरण प्रस्तुत करना भी है। धर्मनीति और राजनीति का मिश्रण समाज को एक सशक्त दिशा में अग्रसर करता है।
उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति घालमेल की नहीं मेलजोल की है। महाकुम्भ, संग्राम से उत्पन्न हुआ और संगम का संदेश लेकर आया है। हम सभी को इस देश के संगम केा बनाये रखना है। भारत की संस्कृति ताकत व तलवारों के बल पर नहीं संस्कारों और विचारों के बल पर खड़ा है। हमारी ताकत किसी को धमकाने के लिये नहीं मिलाने के लिये है।
स्वामी जी माननीय राज्यपाल, बिहार श्री आरिफ मोहम्मद खान साहब और माननीय लोकपाल भारत श्री रितुराज अवस्थी जी को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया।