गुरू की कीर्ति को बढ़ा रहे हैं स्वामी अमृतानन्द व स्वामी अन्नतानंद- श्रीमहंत रविन्द्रपुरी
गुरू के बताए मार्ग का अनुसरण कर सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार में योगदान करें
-स्वामी कैलाशानंद गिरी
हरिद्वार / योग गुरू बाबा रामदेव ने कहा कि भक्ति से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। श्रीमद भागवत ज्ञान व भक्ति का अपार सागर है। संतों के सानिध्य में कथा श्रवण करने और कथा से मिले ज्ञान को आचरण में धारण करने से कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। भूतपवाला स्थित नवनिर्मित जगदीश स्वरूप आश्रम में श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ की समाप्ति एवं मूर्ति स्थापना समारोह के अवसर पर आयोजित संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्वामी रामदेव ने स्वामी अमृतानंद एवं स्वामी अनन्तानंद को बधाई देते हुए कहा कि ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी विद्यानन्द महाराज की स्मृति में विशाल भव्य भवन का निर्माण कर समाज को समर्पित कर गुरू के प्रति जिस श्रद्धा भाव को प्रकट किया है। वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि नवनिर्मित जगदीश स्वरूप आश्रम सेवा का प्रमुख केंद्र बनेगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी विद्यानन्द महाराज विद्वान एवं तपस्वी संत थे। स्वामी अमृतानंद एवं स्वामी अनन्तानंद जिस प्रकार अपने गुरू की कीर्ति को बढ़ा रहे हैं। वह सभी के लिए प्रेरणाप्रद है। उन्होंने कहा कि गुरू के प्रति सच्ची निष्ठा ही शिष्य को उच्च मुकाम पर ले जाती है। नवनिर्मित भवन में धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रम संपन्न होंगे। जिसका लाभ श्रद्धालु भक्तों एवं आमजनमानस को मिल सकेगा। निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि गुरू शिष्य परंपरा आदि अनादि काल से भारतवर्ष में चली आ रही है। शिष्य अपने गुरू के बताए मार्गो का अनुसरण कर सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार में योगदान दें। देश दुनिया हिंदू संस्कृति को अपना रही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अटल पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद महाराज ने कहा कि मानव उत्थान में संत समाज निर्णायक भूमिका निभा रहा है। गरीब निसहाय निर्धन परिवारों को मदद करने से ईश्वरीय कृपा की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि गौ गंगा सेवा के प्रकल्प निरंतर चलाए जाने चाहिए। महामंडलेश्वर ब्रह्र्षि कुमार स्वामी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति विशेष में सबसे प्राचीन है। सनानत धर्म संस्कृति की विशेषताओं से प्रभावित होकर विदेशी भी इसे अपना रहे हैं। संत समाज द्वारा चलाए जा रहे सेवा प्रकल्पों से ही समाज को गति मिलती है। महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज, कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज एवं पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी महाराज ने स्वामी अमृतानंद एवं स्वामी अनन्तानंद को आश्रम निर्माण पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संस्कृति व ज्ञान की गतिविधियां आश्रम में संचालित रहेंगे। स्वामी अमृतानंद ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरू से मिले ज्ञान का अनुसरण करते हुए सेवा प्रकल्पों के माध्यम से समाज उत्थान में निरंतर योगदान कर रहे हैं। स्वामी अन्नतानंद महाराज ने कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरूषों का स्वागत किया और आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संत की वाणी से समाज में धार्मिक चेतना उत्पन्न होती है। सभी को सद्गुरू के सानिध्य में राष्ट्र निर्माण में अपनी सहभागिता निभानी चाहिए। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने भी अपने संदेश के माध्यम से स्वामी अमृतानंद व स्वामी अन्नतानंद को बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने किया। स्वामी हरिवल्लभ दास शास्त्री, महंत जसविन्दर सिंह, महंत रूपेंद्र प्रकाश, बाबा हठयोगी, महामंडलेंश्वर स्वामी अन्नतानंद महाराज, महंत रघुवीर दास, महंत विष्णु दास, महंत सूरज दास, महंत दुर्गादास, महंत दामोदर दास, स्वामी ऋषिश्वरानन्द, सतपाल ब्रह्मचारी, स्वामी ललितानंद गिरी, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, महंत सुरेश मुनि, स्वामी राजेंद्रानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत निर्मलदास, स्वामी ज्ञानानंद, भक्त दुर्गादास सहित, महंत प्यारा सिंह, सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों ने स्वामी अमृतानन्द व स्वामी अन्नतानंद को बधाई व शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर पंजाब पुलिस के अधिकारी डा.शरद एस.चैहान, मुख्य यजमान विनोद कुमार सिंघल, लाला लखपत राय गर्ग, दीपक बंसल सोनी, तरसेम लाल गर्ग, राकेश कुमार सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।