उत्तराखण्ड धार्मिक हरिद्वार

श्रीमद् भागवत कथा के प्रभाव से राजा परीक्षित को हुई बैकुंठ की प्राप्ति-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री


हरिद्वार / श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में एवं महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज के सानिध्य में प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर श्रद्धालुओं को कथा का श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने द्वितीय दिवस की कथा का श्रवण कराते हुए बताया कि सर्वप्रथम सप्ताह कथा के रूप में शुक्रताल में सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित को श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कराया था। शास्त्री ने बताया कि राजा परीक्षित को जब पता चला कि पृथ्वी पर कलयुग का आगमन हो चुका है तो वे ढूंढते हुए गंगा के तट पर पहुंचे। कलयुग से भेंट होने पर राजा परीक्षित ने कलयुग को पृथ्वी से जाने के लिए कहा। तब कलयुग ने राजा परीक्षित से कहा कि सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग आया अब मैं कलयुग आया हूं, तो मुझे भी रहने के लिए जगह दो। तब राजा परीक्षित ने कलयुग को जहां जुआ खेला जाता हो, जहां पर निरपराध पशुओं की हत्या की जाती हो। जहां शराब पी जाती हो। जहां पराई स्त्री के साथ दुर्व्यवहार किया जाता हो इन चार स्थानो पर कलयुग को रहने के लिए कहा। परंतु कलयुग ने राजा परीक्षित से कहा कि आप के डर से यह चार कार्य आपके राज्य में नहीं होते हैं। इसलिए आप मुझे कोई अच्छा सा स्थान दीजिए। तब कलयुग को रहने के लिए स्वर्ण में वास दिया गया। राजा परीक्षित ने अधर्म से बना हुआ मुकुट जो कि जरासंध राक्षस का था, को धारण कर लिया और उसी में कलयुग जा कर बैठ गया। राजा परीक्षित ने शिकार खेलते हुए वन में समिक मुनि के गले में मरा हुआ सर्प डाल दिया। इस पर समिक मुनि के पुत्र श्रृंगी ऋषि ने राजा परीक्षित को श्राप दिया कि सातवें दिन तक्षक नामक सर्प उन्हें भस्म कर देगा। राजा परीक्षित को जब इस बात का पता चला तो वे अपने पुत्र जन्मेजय को राजगद्दी देकर शुक्रताल गंगा तट पर पहुंच गए। वहां वेदव्यास के पुत्र सुखदेव का आगमन हुआ और सुखदेव ने सात दिनों तक राजा परीक्षित को श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कराया। जिससे राजा परीक्षित को भगवान के वैकुंठ धाम की प्राप्ति हुई। शास्त्री ने बताया कि तभी से अपना कल्याण चाहने वाले भक्त सप्ताह कथा के रूप में श्रीमद् भागवत का आयोजन करते हैं। इस आयोजन से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण कर वे भगवत धाम के अधिकारी बन जाते हैं। कथा के द्वितीय दिवस पर मुख्य जजमान सनी कोहली, सुरुचि कोहली, मीना कोहली, अथर्व कोहली, सुनीता पाहवा, गोविंद पाहवा, मीना कोहली, किरण विग, रजनी नौनिहाल, अशोक नौनिहाल, हर्ष आनंद, प्रदीप वडेरा, अन्नू वडेरा, विपिन वडेरा, पूनम वडेरा, लक्ष्य वडेरा, रियांश वडेरा ने भागवत पूजन कर कथा व्यास से आशीर्वाद लिया।