महान संत थे ब्रह्मलीन स्वामी प्रेमानंद सरस्वती-स्वामी चिदविलासानंद
हरिद्वार / ब्रह्मलीन स्वामी प्रेमानंद सरस्वती महाराज की तैंतीसवीं पुण्यतिथी पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों ने उनका भावपूर्ण स्मरण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। नीलधारा तट स्थित आनन्द वन समाधि में महामंडलेश्वर स्वामी चिदविलासानंद सरस्वती महाराज के सानिध्य में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी अनंतानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी प्रेमानंद सरस्वती महाराज दिव्य महापुरुष थे। सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। भारत माता मंदिर के महंत एवं निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी प्रेमानंद सरस्वती महराज ने समाज को सेवा का संदेश दिया और भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर धर्म के मार्ग पर अग्रसर किया। महामंडलेश्वर स्वामी चिदविलासानंद सरस्वती महाराज ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे सौभाग्यशाली है कि उन्हें गुरु के रूप में ब्रह्मलीन स्वामी प्रेमानंद महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी प्रेमानंद महाराज महान संत थे। धर्म शास्त्रों का उनका ज्ञान विलक्षण था। गुरूदेव से प्राप्त शिक्षाओं व ज्ञान का अनुसरण करते हुए आश्रम के सेवा प्रकल्पों में वृद्धि करने के साथ वे संत सेवा व मानव कल्याण में योगदान कर रहे हैं। मुख्य ट्रस्टी समाजसेवी रविन्द्र किशोर सिन्हा ने कहा कि समाज को ज्ञान व धर्म की प्रेरणा देने के लिए जीवन समर्पित करने वाले ब्रह्मलीन स्वामी स्वामी प्रेमानंद सरस्वती महाराज त्याग और तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। उनका जीवन और कृतित्व सदैव समाज को प्रेरणा देवा रहेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता महामंडलेश्वर स्वामी अनंतानंद महाराज एवं संचालन स्वामी रविदेव शास्त्री ने किया। श्रद्धाजलि देने वालों में महंत विष्णु दास, महंत रघुवीर दास, महंत सूरज दास, महंत बिहारी शरण, महंत दुर्गादास, महंत गोविंददास, महंत गंगादास उदासीन, महंत जमना दास, महंत प्रह्लाद दास, महंत शिवम गिरी, स्वामी आदि योगी, डा.श्याम सुंदर शर्मा सहित बडी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।