हरिद्वार / गंगा दशहरा एवं निर्जला एकादशी के अवसर पर श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में भागवत परिवार रामनगर द्वारा सिंहद्वार स्थित मुनीश्वर घाट पर मीठे पानी की छबील लगा कर श्रद्धालु यात्रियों को जलपान कराया गया। जलपान में नींबू पानी, केसर बादाम युक्त ठंडाई, बुरांश का जूस आदि वितरित किया गया। इस अवसर पर भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने गंगा दशहरा एवं निर्जला एकादशी का महत्व बताते हुए कहा कि गंगा दशहरा के दिन ही मां गंगा का प्राकट्य इस धरा पर हुआ था। शास्त्री ने बताया कि राजा सगर के साठ हजार पुत्र जब कपिल मुनि के क्रोध से जलकर भस्म हो गए तो राजा सगर ने कपिल मुनि से प्रार्थना की कि मेरे पुत्रों को मोक्ष कैसे मिलेगा। तब कपिल मुनि ने कहा कि गंगा के स्पर्श से ही इन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी। राजा सगर के वंशज में बड़े-बड़े राजाओं ने मां गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए तप किया। राजा भागीरथ के तप से प्रसन्न होकर मां गंगा भगवान शिव की जटाओं में समाहित हो गई और मां गंगा का नाम जटाशंकरी पड़ा। शिव की जटाओं से निकलकर भगीरथ के पीछे-पीछे गंगा सागर के लिए मां गंगा चली। मां गंगा का स्पर्श राजा सगर के साठ हजार पुत्रों की अस्थियों से हुआ तो सभी मोक्ष को प्राप्त हो गए। तभी से मान्यता है कि जो गंगा में स्नान करता है। मां गंगा उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण कर देती है और उसे बैकुंठ में स्थान मिलता है।
शास्त्री ने निर्जला एकादशी का महत्व बताते हुए कहा कि निर्जला एकादशी जयेष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहा जाता है। पूरे वर्ष अगर एकादशी का व्रत न कर पाए और निर्जला एकादशी का व्रत किया जाए तो संपूर्ण एकादशी व्रत का फल मनुष्य को प्राप्त हो जाता है। निर्जला एकादशी के दिन अन्य जल का त्याग करके भगवान विष्णु की आराधना उपासना पूजन करते हुए अन्न दान, वस्त्र दान, जल दान, फल दान, स्वर्ण दान, गौ दान यथाशक्ति दान पुण्य के साथ विष्णु पूजन व्रत करना चाहिए। इस अवसर पर पार्षद रेनू अरोड़ा, भागवत परिवार सचिव चिराग अरोड़ा, सारिका जोशी, रीना जोशी, मोनिका विश्नोई, मेहंदी दत्ता, नीलू अरोड़ा, वंदना अरोड़ा, राजू भाटिया, तरुण, पंकज जोशी, मीनू खूराना, महेंद्र शर्मा, भारत भूषण तनेजा, राजरानी चुग, निशु, काव्या, आर्यन, वैष्णवी, कार्तिक, नेहा जोशी आदि शामिल रहे।
फोटो नं.10-श्रद्धालुओं को ठंडा शर्बत वितरित करते ट्रस्ट के सदस्य