उत्तराखण्ड हरिद्वार

जागरूकता से जीवन बचाया जा सकता हैः डा-शाह


हरिद्वार / अस्थमा फेफड़ों की बीमारी है। जिसमें सांस लेने में कठिनाई होती है और पीड़ितों को अलग-अलग स्तर तक प्रभावित करती है। अस्थमा ब्रोन्कियल टड्ढूबों में सूजन आने के कारण होता है, कभी-कभी एलर्जी, व्यायाम, तनाव या तापमान में बदलाव से यह तेज हो जाता है। स्वामी विवेकानंद हेल्थ मिशन सोसायटी द्वारा अवधूत मंडल आश्रम स्थित स्वामी रामप्रकाश चैरिटेबल हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर संजय शाह ने लोगों को जागरूक करते हुये बताया कि हर साल मई माह के पहले मंगलवार को श्वसन रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘विश्व अस्थमा दिवस’ मनाया जाता है। विश्व अस्थमा दिवस अस्थमा को सामूहिक रूप से कम करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए शोधकर्ताओं, चिकित्सा पेशेवरों, फार्माकोलॉजिस्ट और स्वास्थ्य देखभाल समूहों को एक साथ लाने का दिन है। हर साल 30 करोड़ से अधिक लोग अस्थमा से पीड़ित होते हैं और इससे भी बुरी बात यह है कि ज्यादातर मामलों में इसका निदान नहीं होता है। इस तरह असमय मौत हो जाती है। शीघ्र निदान और समय पर उपचार और जागरूकता से जीवन बचाया जा सकता है। डा.शाह ने बताया कि जिनकों कोविड की शिकायत हो चुकी है उन्हें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है, साथ ही मास्क का प्रयोग करे तो बेहतर होगा। उन्होंने बताया कि अस्थमा होने पर सांस की नली (एयरवेज) में सूजन या इंफ्रलेमेशन हो जाता है, जिसके कारण सांस की नलिका के पैसेज सिकुड़ जाते हैं। नलिका के पैसेज जब सिकुड़ जाते हैं, तो अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। इसके अलावा सांस की नलिका के पास जो स्मूद मसल्स होते हैं, वे भी संकीर्ण हो जाती हैं। जब संकीर्णता या सिकुड़न हद से ज्यादा हो जाती है, तो अस्थमा के लक्षण में सीटी जैसी आवाज आने लगती है। जब भी कोई हवा संकीर्ण हुई पैसेज से गुजरती है, तो सीटी जैसी आवाज आती है। डा.शाह ने बताया कि मुख्य रूप से हवा में मौजूद एरो एलर्जन (हवा में मौजूद एलर्जन) के कारण अस्थमा के लक्षण ट्रिगर होते हैं। सबसे कॉमन एलर्जन है धूल-मिट्टðी, इसके साथ ही पोलन या पराग, फंगस, पालतू जानवरों की रूसी (डैंडर) आदि के कारण एलर्जी हो सकती है। एरो एलर्जन बेहद ही कॉमन कारण है, जिसकी वजह से अस्थमा के लक्षण नजर आते हैं या ट्रिगर हो सकते हैं। इसके अलावा, प्रदूषण, वायरल इंफेक्शन के कारण अस्थमा के लक्षण नजर आ सकते हैं। इसके अलावा, एक्सरसाइज इंडड्ढूस्ड अस्थमा भी कुछ लोगों में होता है- इसमें एक्सरसाइज करने के दौरान अस्थमा के लक्षण बढ़ सकते हैं। कुछ लोगों में मौसम में बदलाव होने के कारण भी अस्थमा हो सकता है, जिसे सीजनल अस्थमा कहते हैं। इसमें मौसम बदलने के कारण लक्षण बढ़ जाते हैं। कई बार स्ट्रेस, एंग्जायटी, भावनात्मक रूप से कोई परेशान होती है, इस वजह से भी अस्थमा बढ़ सकता है। डा.संजय शाह के अनुसार अस्थमा बच्चों, युवाओं से लेकर वयस्कों में कभी भी हो सकता है। बचपन में होने वाले अस्थमा को चाइल्डहुड अस्थमा कहते हैं। ये बीमारी हर उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। अस्थमा से ग्रस्त व्यक्ति को धूल-मिट्टðी से बच कर रहना चाहिए। घर में चादर, तकिया कवर को गर्म पानी में साफ करें, एलर्जन से बचकर रहें। यदि आपको अस्थमा के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं, तो इसका ये मतलब नहीं कि आप दवाएं लेना बंद कर दें। चिकित्सक की सलाह के बिना दवाएं लेना बंद ना करें।