हरिद्वार / एसएमजेएन काॅलेज में जी-20 के सन्दर्भ में ‘स्वाधीनता का सम्पूर्ण एवं प्रेरक इतिहास’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन मुख्य वक्ता डा.सदानंद दामोदर की अध्यक्षता में किया गया। गोष्ठी को संबोधित करते हुए डा.सदानंद दामोदर ने कहा कि 1857 से पहले भी स्वाधीनता के प्रयास हुए। इसलिए 1857 का स्वतंत्रता संग्राम पहला स्वतंत्रता संग्राम कहना सही नहीं है। इससे पहले भी सन्यासी विद्रोह, आनन्द मठ आदि संग्राम हुए हैं। उन्होंने कहा कि असम की वीरबाला कनक लता बरूआ 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में तिरंगा लेकर चली और शहीद हो गयी। उन्होंने बताया कि समाज में सभी वर्गों द्वारा स्वाधीनता के प्रयास हुए हैं। जबकि अंग्रेजों द्वारा यह नैरेटिव चलाया गया कि स्वतंत्रता आन्दोलन केवल अभिजातीय वर्ग का आन्दोलन था। उड़ीसा के वानर सेना के सदस्य 12 वर्षीय बाजीराव अंग्रेजों को स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारियों तक पहुंचने में रोकने के प्रयास में बन्दूक की गोली से अंग्रेजों द्वारा शहीद कर दिये गये। इसके अतिरिक्त आदिवासी तथा जनजातीय समूहों का भी अंग्रेजों के विरूद्ध संग्राम में अविस्मरणीय योगदान रहा। अंग्रेजों के भारत छोड़ने का कारण 1942 के आसपास सैनिक विद्रोह भी है। उन्होंने कहा कि हमारा कर्तव्य स्वाधीनता की रक्षा कर देश को ऊंचा उठाना है। भाई भगवती राघव ने भी गोष्ठी को संबोधित किया। कालेज के प्राचार्य प्रो.सुनील कुमार बत्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारियां जो विलुप्त हैं। उन्हें विश्व के सामने लाने के लिए इतिहास के पुर्नलेखन की आवश्यकता है। इस अवसर पर मुख्य रूप से अधिष्ठाता छात्र कल्याण डा.संजय कुमार माहेश्वरी, डा.जगदीश चन्द्र आर्य, डा.मोना शर्मा, डा.आशा शर्मा, श्रीमती रिंकल गोयल, श्रीमती रिचा मिनोचा, आस्था आनन्द, डा.लता शर्मा, डा.विजय शर्मा, डा. पूर्णिमा सुन्दरियाल आदि सहित काॅलेज के अनेक छात्र-छात्रा उपस्थित रहे।