उत्तराखंड के गांधी डॉ इन्द्रमणी बडोनी जी की शताब्दी जयंती केवल स्मरण का अवसर नहीं रही, बल्कि यह दिन समाज को उसके मूल सरोकार—जल, संस्कृति और चेतना—से जोड़ने का भी सशक्त माध्यम बना। राजकीय महाविद्यालय लोहाघाट के प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में नमामि गंगे अभियान के अंतर्गत प्रकाशित पुस्तक ‘मेरा नौला, मेरा धारा’ का विमोचन इसी सोच का प्रतीक रहा। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ संगीता गुप्ता द्वारा पुस्तक का विमोचन करते हुए यह संदेश स्पष्ट हुआ कि डॉ बडोनी की विचारधारा आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी राज्य निर्माण के दौर में थी।
जल, जंगल और जमीन की रक्षा—यही उत्तराखंड की आत्मा है और यही इस पुस्तक का मूल स्वर भी है। कार्यक्रम में डॉ ओली, डॉ दिनेश व्यास, डॉ महेश त्रिपाठी, डॉ सोनाली कार्तिक, डॉ नम्रता दयाल, डॉ दिनेश राम, डॉ धामी सहित महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं नमामि गंगे की पूरी टीम की सक्रिय भागीदारी रही। मंच संचालन डॉ कमलेश शक्टा द्वारा कुशलता से किया गया। नमामि गंगे की नोडल अधिकारी डॉ सुमन पाण्डेय ने इस अभियान को एक जन-संवाद बताते हुए कहा कि ‘मेरा नौला, मेरा धारा’ केवल पुस्तक नहीं, बल्कि जल संरक्षण के प्रति सामूहिक चेतना का दस्तावेज है। उन्होंने पुस्तक प्रकाशन में सहयोग देने वाले डॉ लता कैड़ा, डॉ आर. एस. चौहान, शोधार्थी नवीन राय, रमेश चंद्र भट्ट, रमेश चंद्र जोशी, छात्र संघ के पूर्व एवं वर्तमान पदाधिकारियों, विवेक पुजारी, मनीष बिष्ट तथा एनसीसी के विद्यार्थियों का आभार व्यक्त किया।
देहरादून से नमामि गंगे कार्यालय के श्री पी. सी. कापड़ी एवं श्री पैन्यूली जी की उपस्थिति ने कार्यक्रम को राज्यस्तरीय गरिमा प्रदान की। पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें लोहाघाट क्षेत्र के महर्षि विद्या मंदिर, मल्लिकार्जुन विद्यालय, केन्द्रीय विद्यालय, विवेकानंद विद्यालय एवं सीमांत मोंटेसरी विद्यालय के विद्यार्थियों की स्वरचित कविताएं शामिल हैं। यह साबित करता है कि जल-संरक्षण की चेतना अब केवल भाषणों तक सीमित नहीं, बल्कि नई पीढ़ी की लेखनी और सोच में उतर चुकी है। कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय परिवार लोहाघाट ने मीडिया एवं संवाददाताओं का भी आभार जताया, जिनके माध्यम से नमामि गंगे अभियान के प्रयास समाज के व्यापक वर्ग तक पहुंच सके।
